Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 32
________________ जैन भजन तरंगनी। • यह भजन सुपुत्री सितारा देवी के लिये तारीख १७ जनवरी सन् १२४ को धनाया था जब कि एक मेम साहियाने गर्लस्कूल हिसार में स्वास्थ्य रक्षार लेकचर दिया था। ___ चाल-फैला हुवाहै सारे दुनिया में ज्ञान तेरा ॥ अय मेरी प्यारी बहनो बिगड़ी दशा संवारो॥ अपनी सेहत का हरदम दिल में खयाल धारो ॥१॥ मरते हैं लाखों बच्चे माता की ग्रफलतों से ।। गफलत की नींद त्यागो आखें जरा उघागे ॥२॥ दांतों को साफ रक्खो नाखून साफ रक्खो बसतर भी साफ रक्खो नित जल से तन पखारो ॥ ३ ॥ नीयत समय पे खावो नीयत समय पे सोवो॥ सूरज उदय से पहले उठ नींद को निवारो॥ ४॥ सब शास्तर किताबें बतला रहे हैं हमको अपनी सेहत की खातिर धन माल सब निसारो॥५॥ विद्या से देवियों में सतियों में नाम होगा। बन करके द्रोपदी सी घर बार को संभारो॥६॥ रामायण और यादव कुल का पुराण पढकर ।। .. सीता के रुकमणी के चारित्र को विचारो ।। ७॥ । जेवर का बहनो हरगिज़ कुछ न खयाल करना। विद्या हमारा भूषण विद्या से तन श्रृंगारो ॥ ८॥ है एक तंदुरुस्ती न्यामत हजार जानो। . रक्षा का इसके हरदम.दिल में खयाल धारो ॥९॥

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