Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 15
________________ जैन मसान तरंगती अटल है देख लीजे कायदा खानून करमों का। खता हरगिज़ नहीं देखो कजा का तीर करता है ।। ३ ।। न्यायमत छोड़ दे संशय करो शान तत्वों का।। रतन त्रिय धर्म को जानो यही उद्धार करता है ।। ४ ॥ १७ नोट-यह भजन अपने पुत्र राजकुमार के वास्ते सन् १९२२ में बनाया था और उसने स्कूल में सुनाया था। (चाल ) पहलू में यार है मुझे उसकी खबर नहीं। डीअर क्लास फैलो सुनो मेग गुफ्तगू ।। . गर ठीक पास होने की है तुमको आयें ॥ १ ॥ मत कर खराब खेल में तिफलीकी आय को ।। खोना न भूल ऐश में अःहदे शवावको ।। २ ।। तहसील इल्म करना यही अपना काम है ।। दिनको हमारे वास्ते सोना हराम है ॥ ३ ॥ सीधा व सादा आपका सारा लिबास हो। शय कोई टीपटाप की हरगिज न पास हो ॥ ४ ॥ जबतक विद्यार्थी हो ब्रह्मचर्य को पालो ।। हरगिज़ न बुरी बात कोई मुंह से निकालो ॥ ५ ॥ कीजे लिहाज मास्टर आली जनाव का ॥ और याद सवक कीजिये अपनी किताब का ॥ ६ ॥ न्यामत है इम्तिहान खड़ा सरपे जान लो । हिम्मत से काम कीजिये मुश्किल आसान हो ॥ ७॥ रजबानी र यिचा पटना ३ चोला - -

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