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जैन भजन तरंगनी। मनमोहनी सी सूरत पुरनर तेरी मूरत । भुजबल असीम तेरा मस्तक विशाल तेरा ॥ ४ ॥ लछमन के हो विरादर गम्भीरता के सागर । दुनिया में नहीं कोई दूजा मिसाल तेरा ॥ ५॥ लीलाका तेरी मेला मशहूर रामलीला | होता है हर जगह पर हर एक साल तेरा ॥ ६॥ इस दास नरायण के दिल में है याद तेरी । दिन रात ध्यान तेरा हरदम खयाल तेरा ॥ ७॥ यूं धर्म युद्ध करके कर्मों को फेर हर के। जा मोक्ष में विराजे यह है कमाल तेरा ॥८॥
नोट-जर्मन पर शहनशाह जार्ज पंजस की विजय होने पर कन्या पाठशाला
हिसार में जलसा हुवा था । उस समय यह मजन सुपुत्री कलावतो देवी के लिये बनाया था और उसने यह भजन जरसे में पढ़कर
सुनाया था। चाल-कौन कहता है कि मैं तेरे खरीदारों में है। जार्ज पंचम की विजय की है सदा आने लगी। ' सुलह की चारों तरफ से अब निदा आने लगी ॥ १ ॥ जीत विर्टिश की हुई आनन्द जग में छा गया ॥ . जैसे आ सावन की लोरें बूंद बरसाने लंगी ॥२॥ यूनियन ऊंचा हुआ है यानी बिर्टिश की ध्वजा ॥. : हर शहर पर्वत समंदर पार लहराने लगी ॥ ३॥