Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 27
________________ सेन भजन तरंगनी देखलो है जेठ में सावन बहार आई हुई ॥ ३ ॥ -देखकर महमां नवाजी और महोब्बत आपकी । सबके सब ममनून हैं दिलमें खुशी छाई हुई ॥ ४ ॥ मुद्दतों से थी तमन्ना सबको बस जिस बात की। धन्य है जो आज वह उम्मीद बर आई हुई ।। ५ ।। अब विदा होते हैं हम रखना इनायत की नजर । मुआफ करना गर इधर से कोई कोताई हुई ।। ६ ॥ फिर कभी भी इस तरह आकर मिलेंगे आप से ॥ आपकी जानिब से गर और इजत अफजाई हुई ।। ७ ।। न्यायमत धनबाद श्री जिनराज का जिन धर्म का ।। है जो शादी की खुशी दोनों तरफ छाई हुई ।। ८ ॥ यह भजन डाकटर नारायणसिंह साक्ष्य की प्रेरगा से बनाया था। इसमें श्रीरामचन्द्रजी महागज के गुणों का वर्णन है । डाकटर माय गड़े मजन पुरुष हैं और मेरे परम मित्र है। (चाल ) फैला हुवा है सारं दुनिया में शान नेरा । है रामनाम प्यारा प्यारा जमाल तेरा। आखों में छा रहा है सबके जलाल तेरा। बलिहारी तेरी शौकत बलिहारी तेरी हिम्मत । हर एक काम जगमें है वे मिशाल तेरा ॥ २॥ ऋषियों का दुख हटाया क्षत्री धरम दिखाया। दिलमें समा रहा है हरदम खयाल तेरा ॥ ३॥

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