Book Title: Jain Bhajan Tarangani
Author(s): Nyamatsinh Jaini
Publisher: Nyamatsinh Jaini

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Page 11
________________ जैन भजन तरंगनी । ११ चाल -सत्र पड़ जायगा एक दिन बुलबुले नाशाद का । आपही अपने में हमने अपनी सूरत देखली । इस अमूरत की जो सूरत है वह सूरत देखली ॥ १ ॥ अब तलक पर्दा रखा पर्दे में था पर्देनशीन ॥ अब नहीं पर्दा रहा पर्दे में सूरत देखली || २ || काट के दानों की माला मुद्दतों फेरा करी || छोड़ दी जब अपने गुणमाला की सूरत देखली ॥ ३ ॥ न्यायमत हरवक्त निज आनन्द रसमें लीन हूं ॥ कुछ नहीं दुनिया की लज्जत सबकी सूरत देखली ॥ ४ ॥ :0: ---- ३ - उपदेशी भजन | :0: १२ चाल-किसके खरामे नाज़ने में दिन हिना दिया । अय वैशजाती गौरकर किसने तुझे गिरा दिया || तेरी खराबियों ने है नीचा तुझे बना दिया ॥ १ ॥ हो वदरसूमका बुरा जिसने हमें तबाह किया || बुद गर्जियों ने देखले हैं खाक में मिला दिया ॥ २ ॥ बचे यतीम आपके मारे फिरें हैं दरवदर । (2) M

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