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जैन भजन तरंगती ।
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घटती है कौम दिन व दिन है क्ल तेरा घटा दिया || ३ || औरों को देख किस तरह आगे कदम बढा रहे । विद्या में धन में धर्म में पीछे तुझे हटा दिया ॥ ४ ॥ तेरी तबाहियों का ही सुनते हैं जिक्र जावजा - तेरी ही गफलतों ने है बुजदिल तुझे बना दिया ॥ ५ ॥ गर उन्नति चाहे तो चल संसार की रफ्तार पे न्यामत ने रार्ज़ खोलकर सारा तुझे सुना दिया || ६ ||
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वाल--प्रभू भक्ती में प्रेम लगाये सना ॥
प्रेम भक्ती सभी को सिखाते चलो । सबकी सेवा में सरको झुकाते चलो ॥ टेक ॥ माने न माने कोई उनकी मर्जी । तुम अपनी तरफ से मनाते चलो || १ ||
कुरीति में दौलत लुटी जा रही है । बचा तुम सको तो बचाते चलो || २ ||
जुलम का सितम का बुरा है नतीजा | दया में कदम को बढाते चलो ॥ ३ ॥
है बिगड़ी हुई बैश जाती की हालत । जो तुमसे बने सो बनाते चलो || ४ || आपस के झगड़े घरों की लड़ाई |
१ कम हिम्मत २ मामला