________________
संस्कार चारशील विद्वान् यदि मनुष्य-प्रकृतिकी खोज करेंगे,
* तो उन्हें पता लगेगा कि संसारमें जो मनुष्य जिस धर्मका अनुयायी है-कुल-परम्पगसे जिस धर्मके अनुकूल वह चल रहा है, उस उसी धर्मकी बातें सही प्रतीत होती हैं; दुसरे की ग़लत । अपने धर्मकी सभी बाते युक्तियुक्त, संगत और सम्भव दीखती हैं; दूसरेकी पक्षपात-पूर्ण, असंगत और असम्भव प्रतीत होती हैं।
कुछ लोग उपरोक्त नियमके अपवाद-स्वरूप भी मिलेंगे। अर्थात् कुछ लोग ऐसे भी मिलेंगे कि जो पालन तो वे किसी कुल-परम्परागत धर्मका ही करते हैं, लेकिन दूसरे धर्मास भी सहानुभूति रखते हैं। दूसरे धर्मोको भी वे बुरा नहीं कहत लेकिन ऐसे महानुभाव हैं बहुत थोड़े-इने-गिने ही हैं। ___ कुछ लोगोंके मनकी आदत जो ऐसी पड़ जाती है कि जिससे उन्हें दूसरे धर्मोकी बातें नहीं सुहातीं और पक्षपात-पूर्ण प्रतीत होती हैं तथा अपने धर्म की बातें युक्ति-युक्त और भली प्रतीत होती हैं, उसका कारण क्या है ?