Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 8
________________ गुमानचंद ६९, गुलाबराय ६९, गुलाबविजय ६९-७०, गोपीकृष्ण ७०-७१, गोविंद दास ७१, चतुरविजय ७१-७३, चन्द्र ७३, चंपाराम ७३-७४, चंद्रसागर ७४-७५, चारिभनंदन ७५, चारिभनंदी ७६, चारिभसुंदर ७६, चेतनकवि ७६-७७, चेतनविजय ७७-७८, चौथमल ७८, जगजीवन ७८-७९, जगन्नाथ ७९, जड़ाव जी ७९-८०, जयकर्ण ८०, जयचंद छाबड़ा ८०-८२, जयमल्ल ८२-८३, जयरंग ८३-८४, जयसागर ८४-८५, जिनकीर्ति सूरि ८५-८६, जिनचंद सूरि ८६, जिनदास गोधा ८६,जिनदास गंगवाल ८६, जिनलाभ सूरि ८६-८७, जिनसौभाग्य सूरि ८८, जिनहर्ष सूरि ८८-८९, जिनेन्द्रभूषण ८९-९०, जिनोदय सूरि ९०-९१, जीतमल (१) ९१, जीतमल (२) ९१-९२, जीवजी ९२, जैमल (ऋषि) ९२-९४, जोगीदास ९४-९५, जैनचंद ९४, जोगीदास ९४-९५, जोधराज का सलीवाल ९५-९६, जोरावर मल ९६, ज्ञानउद्योत ९६-९७, ज्ञानचंद (१) ९८, ज्ञानचंद (२) ९८, ज्ञानसार ९८-१०४, ज्ञानसागर १०४, ज्ञानसागर शिष्य १०४-१०५, ज्ञानानंद १०५, झूमकलाल १०५१०६, टेकचंद १०६-१०७, टोडरमल १०७-१०९, डालूराम १०९, डूंगावैद १०९-११०, तत्त्वकुमार ११०, तत्त्वहंस ११०, तिलोकचंद ११०, तेजविजय ११०-११, तेजविजय शिष्य १११, त्रिलोक कीर्ति १११, थानसिंह १११-११२, थोभराा ११२, दयामेरू ११२, दर्शनसागर ११२-११३, धानत ११४, दिनकर सागर ११४, दीप ११४-११५, दीपचंद कासलीवाल ११५, दीपविजय (1) ११५-११८, दीपविजय (II) ११८-१२०, दुर्गादास १२०, देवचंद १२०, मुनिदेवचंद १२०, देवरत्न १२१-१२२, देवविजय १२२, देवहर्ष १२३-१२४, देवीचंद १२४-१२५, देवीदान नाइता १२५, देवीदास १२५-१२६, देवीदास (II) १२६, देवीदास खंडेलवाल १२६, दौलतराम कासलीवाल १२६-१२७, धर्मचंद (1) १२७, धर्मचंद (11) १२८, धर्मदास १२८-१२९, कर्मपाल १२९, धीरविजय १३०, नंदराम १३०, नंदलाल छाबड़ा १३०, नथमल बिलाला १३०-१३१, नयनंदन १३१, नयनसुख दास १३१-१३२, नवलशाह १३२-१३३, निर्मल १३३-१३४, निहालचंद १३४१३५, निहालचंद अग्रवाल १३५, नेमचंद १३५, ब्रह्मनेमचंद १३५, नेमिचंद पाटणी १३६, नेमविजय १३६-१३८, पन्नालाल १३८,पद्मभगत १३८, पद्मविजय १३८१४२, परमल्ल १४३, पार्श्वदास १४३, पासो पटेल १४४, प्रकाश सिंह १४४१४५, प्रतापसिंह १४५, प्रागदास १४५, प्रेममुनि १४५-१४६, फकीरचंद १४६१४७, फत्तेचंद१४७, फतेन्द्रसागर १४७-१४८, बखतराम साह १४८, बख्तावरमल्ल १४९, बख्शीराम १४९, बालकृष्ण १४९, बुधजन (विरछीचंद) १४९-१५१, बुद्धिलावण्य १५१, बूलचंद १५१, भक्ति-विजय १५१-१५२, भगुदास १५२, भाराविजय १५२-१५३, भागीरथी १५३, भारामल्ल १५३-१५४, भीखजी १५४, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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