Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 4
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 7
________________ विषय सूची · प्रथम अध्याय- १९वीं शती (वि०) के हिन्दी जैन साहित्य की राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (क) राजनीतिक पृष्ठभूमि - १ - ३, मुगल साम्राज्य के पतन का कारण ३ - ४ (ख) मराठा शक्ति का उत्थान और पतन ४-५, तत्कालीन अन्य देशी रियासतें ५ - ६, उत्तर भारत की प्रमुख देशी रियासतें ७ - अवध का नवाब ७, बंगाल के नवाब ७-८, राजपूताना के रजवाड़े ८, भरतपुर के जाट ८ ९, रूहेले और पठान ८, सिक्ख राज्य ९ - १०, यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियाँ - १०, पुर्तगाली कम्पनी १०, डंच कम्पनी १०, ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ११, कम्पनी का राज्य प्रसार और प्लासी का युद्ध ११-१२, बक्सर का युद्ध १२-१४, ईस्ट इण्डिया कम्पनी की व्यापार नीति १४, प्रशासनिक नीति १४ - १५, भूराजस्व सम्बन्धी व्यवस्था १५-१६, सामाजिक और सांस्कृतिक नीति १६, नवजागरण और राजा राममोहन राय १६-१८, सन् १८५७ का विद्रोह १८ - १९, सामाजिक और आर्थिक स्थिति १९ - २१, संस्कृति और साहित्य की सामान्य स्थिति २१ - २३, धार्मिक परिस्थिति २३, जैन धर्म २३ - २६, संदर्भ २७, Jain Education International द्वितीय अध्याय- १९वीं ० (वि०) शती के जैन हिन्दी साहित्य का विवरण, अगरचंद २८, अनोपचंद २८, अनोपचंद शिष्य २८, अमरचंद लोहाड़ा २८, अमरविजय ( १ ) २८, अमरविजय (२) २८-२९, अमरसिंधुर २९-३०, अमृत मुनि ३०, अमृतविजय ३० - ३१, अमृतसागर ३१ ३२, अमीविजय ३२, अमोलक ऋषि ३२, अविचल ३२-३३, आणंद ३, आणंदवल्लभ ३३, आणंदविजय ३४, आलमचंद ३४-३६, आसकरण ३६-३७, इन्द्रजी ३७, उत्तमचंद कोठारी ३७, उत्तम मुनि ३८, उत्तमविजय (१) ३८-३९, उत्तमविजय (२) ४०, उत्तमविजय (३) ४०-४३, उदय ऋषि ४३, उदयकमल ४३-४४, उदयचंद ४४, उदयचंद भंडारी ४४-४५, उदयरत्न ४५, उदयसागर ४५-४६, उदयसोम सूरि ४६-४८, ऋषभदास निगोता ४८-४९, ऋषभविजय ४९-५१, ऋषभसागर ५१-५२, कनकधर्म ५२, कनीराम ऋषि ५२५३, कमलनयन ५३-५४, कमलविजय ५४, कर्पूर विजय | ५४-५५, कल्याण ५५, कल्याणसागर सूरि शिष्य ५५-५६, कवियशा ५६-५७, कस्तूरचंद ५७, कान ५७५८, कांतिविजय ५८-५९, कृष्णदास ५९, कृष्णविजय ५९-६०, कृष्णविजयशिष्य ६०, कुंवरविजय ६०-६१, कुशलविजय ६१, केशरी सिंह ६१, केशोदास ६१-६२, क्षमा कल्याण ६२-६४, क्षमाप्रमोद ६४, क्षमा माणिक्य ६४, क्षेमवर्धन ६५-६६, क्षेमविजय ६६, खुशालचंद ६६-६७, खुशालचंद ६७, खुशालविजय ६.७, खेमविजय ६७-६८, गणेशरुचि ६८, गिरिधरलाल ६८, गुलाबो ६८, गूणचंद्र ६९, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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