Book Title: Gurupad Puja Author(s): Ajitsagarsuri Publisher: Shamaldas Tuljaram Shah View full book textPage 4
________________ ॥ ॐ बन्दे श्रीमहावीरम् ॥ निवेदन. आ दुनियामां दश दृष्टांते दुर्लभ एवो मानव भव पामी आत्मसाधन करवू एज सौथी प्रथम कर्तव्य छे. हवे ते आत्मसाधन तत्त्वज्ञान शिवाय सिद्ध थतुं नयी. वली ते तत्वज्ञाननी माप्ति सद्गुरुद्वारा थइ शके छे. ___ कारण के विशाल नेत्र छतां पण अंधकारमा रहेली वस्तु जेम माणसो देखी शकता नथी, तेम अज्ञानयी आवृत्त बुद्धिवाला पामर पुरुषो ज्ञेय वस्तुने ओलखी शकता नथी. माटे सद्गुरुनो आश्रय एज मुख्य ज्ञान साधन छे. कारणके । नास्ति तत्वं गुरोः परम् ॥ गुरुथी अन्य कोइ श्रेष्ठ वस्तु नथी. तेमज गुरुत्व विनिश्चयमां पण का छे के: गुरु आणाए मुक्खो, गुरुप्पसायाउ असिद्धिओ। गुरुभत्तीए विज्जा, साफलं होइ णियमेणं ॥१॥ गुरुनी आज्ञा प्रमाणे प्रवृत्ति करवामां आवे तोज मोक्ष लाभ थइ शके. गुरुमहाराजनी प्रसन्नताथीन अष्टसिदिओ माप्त थाय छे. गुरुभक्ति विना विद्याभ्यास करवामां आवे छतां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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