Book Title: Guru Tattva Pradip
Author(s): Chirantanacharya, Labhsagar
Publisher: Mithabhai Kalyanchand Pedhi

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Page 150
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुतत्त्वव्यवस्थापनवादस्थलम् सङ्ग्रहियां श्री अभयदेवसूरिकृतपञ्चनिर्ग्रन्थ सङ्ग्रहिण्यां, तथाहिबउस सबलं कब्बुरमेगट्ट तमिह जस्स चारितं । अइआरपंकभावा बउसो होइ निग्गंथो || १ || उवगरणसरीरेसु स दुहा दुविहो होइ पंचविहो । आभोग अणाभोगे अस्संवुड संवुडे सुहुमे ॥२॥ जो उबगरणे बउसो सो धुवइ अपाउसे वि वत्थाई । इच्छइ य सलण्डयाई किंचि विभूसाइ भुंजइ य ||३|| तह पत्तदंडयाई घट्ट मट्ठ सिणेहकयतेयं । धारेइ विभूसाए बहुं च पत्थेइ उवगरणं ||४|| देहब उसो अकज्जे करचरणनहाइयं विभूसेइ । दुविहो बि इमो इsि इच्छ६ परिवारपभिईयं ||५|| पंडिच्चतवाइकयं जसं च पत्थेइ तंभि तुस्सइ य । सुहशीलो न य वाढ, जय अहोरसकिरिया || ६ || परिवारो अ असंजम अविवित्तो होइ किंचि एयस्स । घंसियपाओ तिल्लाइमसिणिओ कत्तरियकेसो ॥७॥ तह देससव्वछेयारिहेहि सबले हि संजुओ बउसो । मोहक्वयत्यमन्भुद्वियो य सुत्तंमि भणियं च ||८|| उवगरणदेहचुक्खा रिद्धिजसगारवासिआ निच्चं । बहु- सबलछेयजुत्ता निग्गंधा बाउसा भणिआ || ९ || आभोगे जाणतो करेइ दोसं अजाणमणभोगे । मूलुत्तरेहिं संवुड विवरी असंवुडो होइ ॥ १०॥ अच्छिमुहमज्जमाणो होइ अहासुहुमओ तहा बउसो । सीलं चरणं तं जस्स कुच्छि सो इह कुसीलो ||११|| पडिसेवणा कसाए दुहा कुसीलो दुहावि पंचविहो । नाणे दंसणचरणे तवे अ अहसुहमए वेव ॥ १२॥ इह नाणाइकुसीलो उarti (बी) होइ नाणपभिईए । अहसुहुमो पुण तुस्सइ एस तवसित्ति संसाए || १३|| जो नाणदंसणतचे अणुजुंजइ कोहमाणमायाहि । सो नाणाइकुसीलो कसायओ होइ नायनो ५१४ ।। चारितमि कुसीलो कसायओ जो पयच्छइ सावं । मणसा कोहाईए निसेवयं हो अहासुमो ॥ १५ ॥ अहवाऽवि कसाएहि नाणाईणं विराहओ १४१ For Private And Personal Use Only

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