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सैद्धान्तिक व क्रिया पक्ष की स्पष्टता करता है। सी. जी. जुंग व्यक्तित्व को निम्नवत स्वरूप में वर्गीकृत करतीं हैं
बहिर्मुख
सांसारिकता की ओर उन्मुख करने वाले
दूसरों के साथ
मेलजोल बढ़ाने वाला
बाह्य प्रवृत्तियों में
रूचि रखने वाला
व्यक्तित्व
चित्र
अन्तर्मुखी
स्व केन्द्रित एवं
विषयों से परे
निर्धनता प्रिय एवं
कम खर्चीले
विचार प्रस्तुतीकरण
में सहमना
अपने में ही मस्त
रहने वाला
उभयमुखी
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बहिर्मुखी एवं
अन्तर्मुखी
मिश्र
सी. जी. जुंग का व्यक्तित्व वर्गीकरण
गुणस्थानक विकास यात्रा में एक और बाह्य प्रकटीकरण है तो दूसरी ओर अन्तर्मन समायोजन का मनोभावनात्मक चिंतन जो नियत ऊँचाइयों का स्पर्श कराने में अहम् भूमिका अदा करता है। व्यक्तित्व वास्तव में मनोदेहिक प्रकटीकरण है। लक्ष्य सिद्धि में इस अदृश्य शक्ति (मनोबल) की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। व्यक्तित्व से उसके कार्य करने की शैली, साहस, धैर्य व दृढता आदि की स्थिति का भान होता है। गुणस्थान विकास यात्रा में व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों की स्थिति का यथोचित प्रभाव देखा जा सकता है। प्रो. सी. जी. जुंग द्वारा स्पष्ट की गई व्यक्तित्व के स्वरूपों की तीन स्थितियाँ गुणस्थानक अवस्थाओं से साम्यता रखती प्रतीत होती हैं। अन्य शब्दों में यह कहना अधिक उचित होगा कि व्यक्तित्व के उक्त वर्णित स्वरूप उसे गुणस्थान की अलग-अलग स्थितियों मे ले जाने हेतु उत्तरदायी हैं यथा- बहिर्मुखी व्यक्तित्व शुभाशुभ बाह्याचरण केन्द्रित हैं। अशुभाचरण मिथ्यात्व व मिश्र
अच्छा वक्ता
किन्तु
एकान्त प्रिय