Book Title: Gunasthan ka Adhyayan
Author(s): Deepa Jain
Publisher: Deepa Jain

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Page 178
________________ लेखक विशे..... डॉ. दीपा जैन का जन्म सन 1975 में अवागढ़ जिला एटा उ.प्र. में हुआ। स्नातक तक की समाजशास्त्र एवं शिक्षण विषय के साथ बी. आर. अम्बेडकर, विश्वविद्यालय, आगरा - उ.प्र. में ही पूर्ण की तथा मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर राजस्थान से प्राकृत भाषा एवं जैन दर्शन में स्नात्कोत्तर उपाधि ग्रहण की गुजरात विश्वविद्यालय, अहमदाबाद- गुजरात के प्राकृत भाषा विभाग से "गुणस्थान का अध्ययन" विषय पर विद्यावाचस्पति की उपाधि हांसिल की है। इसके अलावा राष्ट्रीय सहकारी संघ के राष्ट्रीय सहकारी शिक्षा केन्द्र से सहकारिता प्रबंधन में डिप्लोमा प्राप्त किया है। हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, अंग्रेजी और गुजराती भाषा की यथोचित समझ है आपकी रुचि का क्षेत्र दार्शनिक धार्मिक अभगमों का सामाजिक सरोकार अथवा मानवीय विकास दिशा मे शोध करना रहा है ताकि यह भली भांति प्रस्थापित किया जा सके कि हमारे समृद्ध परम्परागत ज्ञान-विज्ञान के भंडार मानव जीवन को सुखमय बनाने, सृष्टि को संरक्षित करने में अहम् भूमिका निभा सकते हैं। तदानुरूप वैयक्तिक- सामाजिक सम्पोषित विकास के प्रतिमानों पर अपेक्षित मानवीय मूल्य एवं व्यवहारों को शांतिपूर्ण समाज रचना की दिशा में स्थापित किया जा सके। इसी विषयवस्तु के इर्द-गिर्द आपने राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में कई शोध लेखों का प्रकाशन किया है तथा राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठियों में शोध-पत्र प्रस्तुत कर सक्रिय भागीदारी की है। वर्ष 2003 से जनसहभागिता विकास संस्थान, जयपुर (स्वैच्छिक संस्था) में सलाहकार के रूप में मानद सेवाऐं प्रदान कर रहीं हैं तथा जैन दर्शन के मनो- सामजिक पक्ष पर स्वतंत्र शोध व प्रलेखन में रत हैं। 1

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