Book Title: Gunasthan ka Adhyayan
Author(s): Deepa Jain
Publisher: Deepa Jain

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Page 149
________________ 11. धर्म मेघा- मेघ का अर्थ है आकाश | इसमें समाधि धर्माकाश को प्राप्त कर लेती है। सयोग केवली की भाँति जिन समवशरण जैसी स्थिति बौद्ध दर्शन की धर्म मेघा अवस्था में दृष्टिगत होती है। समीक्षाजैन तथा बौद्ध दोनों ही दर्शनों में आध्यात्मिक विकास प्रमुख है तथा इनका अंतिम लक्ष्य भी निर्वाण है। दोनों का ही यह मानना है कि आत्मा के इस नैतिक विकास के आयामों में विशुद्धता का प्रमाण बढ़ता जाता है। बौद्ध दर्शन कारणवादी है। इस मान्यता के मुताबिक कारण के बिना कोई घटना घटित नहीं हो सकती। इस दर्शन में कर्मवाद, क्षणिकवाद, आत्मा की अनित्यता, ईश्वर की सत्ता में अविश्वास तथा निर्वाणका आदर्शवाद आदि सिद्धान्तों का प्रभाव (प्रतीत्य समुत्पाद का नियम) स्पष्ट देखा जा सकता है। आचार्य हरिभद्र ने महायान के बोधिसत्व पद की तुलना सम्यग्दृष्टि अवस्था से की है। बोधिसत्व का अर्थ है- ज्ञान प्राप्ति का इचछुक। जहाँ जैन परम्परा (दिगम्बर और श्वेताम्बर) में गुणस्थान की चौदह भूमियां बताई गई हैं वहाँ बौद्ध परम्परा में मतैक्य हैं। **** 149

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