Book Title: Gatha Param Vijay Ki Author(s): Mahapragya Acharya Publisher: Jain Vishvabharati Vidyalay View full book textPage 8
________________ राजगृह के नागरिक वनक्रीड़ा के लिए उद्यान में गए। नाना प्रकार के वृक्षों से भरा हुआ उद्यान। चारों ओर क्रीड़ा का समारंभ। उसमें राजा भी शरीक हुआ। हजारों मनुष्य आए। बड़े-बड़े लोग हाथी और घोड़ों पर सजधज कर आए। उद्यान में एक मेला-सा लग गया। सब लोग क्रीड़ा करने में लीन बने हुए हैं। ___ क्रीड़ा-काल में प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क में मादकता सहज पैदा हो जाती है। हमारे शरीर में कुछ ऐसे रसायन हैं, जो मादकता को पैदा करते हैं। यदि मादकता न हो तो मनुष्य बहुत दुःखी बन जाता है। जो मादकता बाहर की वस्तु से, नशे की वृत्ति से पैदा की जाती है, वह मादकता बहुत खराब है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। अपने भीतर से, अपने भीतरी रसायनों से जो मादकता पैदा होती है, वह उत्तम है। उसमें आदमी मस्त हो जाता है, झूम उठता है। सारी चिन्ताओं को भूल जाता है। वह प्राकृतिक दृश्य, वह सुषमा, वह सौन्दर्य, वह मीठी-मीठी, भीनी-भीनी हवा–कुल मिलाकर सारा वातावरण ऐसा था जो मस्तिष्क को सुखमय अथवा मादकतामय की अनुभूति में ले जा रहा था। जब मनुष्य में भी मादकता आती है, तब जो मादकता के प्रखर प्राणी हैं उनमें तो वह स्वाभाविक है। सर्दी के दिनों में राजस्थानी ऊंट के मद झरता है। हाथी के तो इतना मद झरता है कि उसका वर्णन कवि इस भाषा में करते हैं-हाथियों के झुंड से इतना मद झरा कि एक नदी बन गई। वन-क्रीड़ा के मध्य पट्टहस्ती मद से उन्मत्त हो गया। मद के आवेश से इतना आविष्ट हो गया कि उसने आलान–शृंखला-बंधन को तोड़ दिया। शृंखला-बंधन को तोड़कर स्वतंत्र रूप से जाने लगा। चारों ओर आमोद-प्रमोद और नाटक हो रहा था। हाथी चमक गया। पट्टहस्ती हाथियों में प्रमुख होता है। उसके लक्षण भी भिन्न होते हैं। गंधहस्ती और ज्यादा शक्तिशाली होता है। कहा जाता है-पांच सौ हाथी हैं, बड़े शक्तिशाली। यदि गंधहस्ती आ जाए तो वे पांच सौ हाथी बकरी बन जाएं उसकी गंध मात्र से। उसकी गंध के परमाणु इतने शक्तिशाली हैं कि पांच सौ शक्तिशाली हाथी निःवीर्य और बकरी जैसे बन जाते हैं, अपना मुंह नीचा कर लेते हैं। उनकी लड़ने की ताकत समाप्त हो जाती है। वह होता है गंधहस्ती। __वह पट्टहस्ती था, गंधहस्ती नहीं। वह हस्ति सेना का युग था। उस समय युद्ध में उसकी विजय होती थी जिसके पास शक्तिशाली हस्ति सेना होती थी। वर्तमान में जिसके पास प्रक्षेपास्त्र हैं, शक्तिशाली आधुनिकतम टैंक हैं, वह विजयी होता है। उस युग में जिसकी हस्ति सेना शक्तिशाली होती, उसे विजयश्री मिलती। ___पट्टहस्ती शृंखला-बंधन को तोड़कर स्वच्छंद घूमने लगा। ऊपर महावत बैठा था, अंकुश भी था। हाथी सामान्य मद में होता है तो अंकुश को मान लेता है। जब मद का अतिरेक हो जाता है, तब वह अंकुश को भी गिनता नहीं है। महावत ने बहुत अंकुश लगाए, वश में करने का प्रयत्न किया, पर कोई प्रयत्न सार्थक नहीं हुआ। हाथी उन्मत्त घूमने लगा। उसने महावत को भी नीचे गिरा दिया। चारों ओर चीत्कार की आवाजें आने लगीं। आमोद-प्रमोद, क्रीड़ा, हास्य-व्यंग्य में लीन लोग भागने लगे। जल-क्रीड़ा आदि में लीन लोग भयाक्रांत हो गए। आमोद विषाद में बदल गया। सबने देखा-भीमकाय हाथी उन्मत्त हो गया है। 'बचाओ बचाओ' की आवाजें आने लगीं। लोग चारों ओर दौड़ने लगे। भगदड़ मच गई। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया 'हाथी को वश में करो।' सैनिकगण ने देखा तो लगा जैसे कोई अंजनाद्रि है। एक काला पर्वत होता है जिसका नाम है अंजन-गिरि। एक ऐसा विशालकाय हाथी सामने है, गाथा परम विजय कीPage Navigation
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