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योने सर्वथा प्रकारथी ' उपादेय' छे, त्यारे ते वस्तु शी छे ! के एकतो आवश्यक सूत्ररूप, अने बीजी ते संबंधी वे वखतनी प्रतिक्रमणरूप अवश्य क्रिया, ते अवश्य क्रियानो आधार, मुख्यत्वे साधु छ । तेथी उपादेयरूप आवश्यक सूत्र, अथवा साधु छे, । केमके सूत्र छ ते, क्रियानु ज्ञान प्राप्त कराववावाळु होवाथी उपादेयरूप छे. अने साधुमां, क्रिया कारकना संबंधे आवश्यक अमारे उपादेय छे. । एज उपादेय आवश्यक सूत्ररूप वस्तुना चार निक्षेप करवा, सूत्रकारे सूत्र गूंथन करेलु छे ॥
॥हबे जूवाके प्रथम 'नाम निक्षेप' ज्यारे ते आवश्यक सूत्र लखावी तैयार कराव्युं, अने तेनुं नाम आवश्यक सूत्रं एम स्थापित कर्यु, ते अजीव रूप वस्तुमा आवश्यक सूचना नामनो निक्षेप थयो, अथवा एक आवश्यक सूत्र मात्र पठित साधुने, आवश्यकी, कहेवो ते, जीव अजीव रूप वस्तुमा आवश्यक सूत्रना नामनो निक्षेप गणाय छे ॥ १ ॥ हवं जुवो बर्बाजो ' स्थापना निक्षेप ' के काटादि उपर पण अक्षरोनी स्थापना करी आवश्यक सूत्र लखी सकाय छे, अने पोथीयो उपर तो लेख चालु पणज छे. । तेमज काउस्सगमां ध्यानारूढ थयेला साधुनी मूर्ति पण करी सकाय छे, तेथी ते आवश्यकनो भाव जणाववावाळी होवाथी, तेने स्थापना निक्षेप सूत्रकारे कहेलो छे. २ ॥ हवे जुवो आवश्य: सूत्रनो ' द्रव्य निक्षेप' के, ? आगम, २ नो आगम, ना भेदथी बतावेलो छे, तेमां. ? आगमथी, द्रव्य आवश्यक ए छे के, जे साधु, आवश्यक सूत्रने, परिपूर्ण पणे भणी रह्यो छे, वाचन करे छे, अधवा धर्मोपदेश विगरे करी रह्यो छे, पण तेनो उपयोग तेमां नथी तेथी तेने, आगमथी द्रव्य आवश्यक कह्यो, केमके भणेलो छ अथवा भणे छे, तेनो
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