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छे अने उपयोग विनानो मान्यो छे. तेथी सम्यत्कना कारणरूप आ लेखमांथी कोइ दिन पण भावरूप सम्यकपणानुं ज्ञान मळी शकवानुज नथी ? तेथी आ बधुं पुस्तकज उपयोग विनानुं रचायखें छ. । ज्यारे प्रथम नामनो निक्षेपज खोटो ( अर्थात् सम्यक्त्वना अर्थ विनानो) करेलो छे, तो पछी बीजी सार्थकता एमांथी शें निकळवानी छे. ॥ अगर वाडीलाल कहेशे के, अमोए नाम निक्षेप नही पण नाम आप्युं छे, तो ते कहेवाने मार्ग नथी, केमके, तमो एज लख्यु छे के, बीजी वस्तुमां नाम आपीए त्यारे नामनिक्षेप कहेवाय, तेथी मुख्य वस्तुथी आ सम्यक एवं नाम तमारा चोपडी रूप बीजी वस्तुमां आपेलुं छे, तेथी ए नाम निक्षेपज छे, अने नाम निक्षेप तमोए निरर्थक मानेलो छे, तेथी बधी चोपडी निरर्थकज ठरे छे. ॥ पण अमो तो नाम निक्षेप सार्थक मानीये छीये जेमके, हेय वस्तुमां हेय तरीके, ज्ञेय वस्तुमा ज्ञेय तरीके, अने उपादेय वस्तुमां उपादेय तरीके । तेथी अमो अमारी चोपडीजे काइ नाम आपशुं ते नामनिक्षेप मानी सार्थकरूपे गणीशु. ।। अने तेथी सर्व जीवोना कल्याण माटे थशे एम पण मानीशं.
॥ इति चार निक्षेप विषये किंचित्तत्त्वाऽतत्त्व विचारः ।।
इतिश्री मद्विजयानंद सूरीश्वर लघुशिष्येनाऽमर मुनिना धर्मना दरवाजा संबंधि पंचविंशति दृष्टि नाम्नश्चतुर्थ प्रकरणे तत्त्वाऽतत्त्व विचारःसंकलितः॥
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