Book Title: Dharmna Darwajane Jovani Disha Athva Tattvatattva Vichar
Author(s): Amarmuni
Publisher: Amarvijay Jain Pathshala

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Page 211
________________ २०७ बलवाने लागीजाय. तेज दुर्गतिना पात्र घने । बाकी संसारी लालचविनाना भगवाननी भक्ति करवावाला तो, दुर्गतिमां जायज नही. ॥ इति भक्तिधर्म आश्रित द्वितीयदृष्टांत ॥ ॥ ३ चतुर्मासमां, अथवा कोइ वखते शेषकालमां, एक गाममां स्थिति करीने रहेला पंडित साधुने, अथवा तपस्वी साधुने, सेमम संथारो करेला साधुनें, अनेक गामना श्रावकोनां टोळां ने टोली, बंदना करवाने रस्ताना अनेक प्रकारना आरंभने 'विसारीदइ, केवल भक्तिनी खातरज, आवता आपणे जोइये छीये । अने साधुजी रहेला छे ते गामना श्रावको, अनेक गामथी, भक्तिने माटे आवेला श्रावकोना, बैल, घोडा, आदिना खानपाननी तजवीज करता पण जोइये छीये. । तेमज ते आवेला श्रावकोना, खानपाननी तजवीजमां, अपकायनी विराधना न गणतां, पांणीनांतो कडाओ ने कडाओ मांडी देछे, । अने अग्निकायनी विराधना न गणतां, मोटा मोटा चूलाने चेतावी मुके छ, । अने हरिकाय विगरेनां मोटा मोटां पोटलांने तो गणेछेज कोण! एवी रीते, छए कायनी विराधनाने, किंचित्मात्र पण ध्यानमां न लावतां, सर्व प्रकारना सगवडनी साथे, केवल धर्मना आधीन थइ, भक्तिने माटेज करता जोइये छीये. । अगर जो तमो एम कहेवाने मागता होय के, साधुर्जानी भक्तिना वश थइ, ते गामना श्रावको, आवेला श्रावकोनी भक्ति करे छे, तो ते तमारी मरजीनी वात छे. । अगर जो एम कहेवा मागता होय के, साधर्मी भाइ घरे आवे तो, साधर्माए साधर्मी भाइनी भक्ति अवश्य करवी, तेथीज ते आवेला साधर्मी भाइयोनी अमोए पणं भक्ति करेली छ, । ए वातनो विचार, तमारी खुशी उपर छोडीदइ, अमोतो एटलंज कहीये छीये के, केवल धर्मनेवास्ते, भक्तिना आधीन थइ, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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