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वळी पण जुवो के, अमारा ढूंढको पण, एम कहे छे के, आपणो आ जीव, ओषा अने मुहपत्तीओ, मेरु पर्वतना ढगला जेटली, ग्रहण करीने छोडी आव्यो, तोपण खरं साधुपणुं आव्या वगर, जीवनो काइ दहाडो वळ्यो नथी. । ____ आ उपरथी विचार करो के, ते जीव साधुपणानी क्रिया, अने साधुपदना नामनिक्षेपने, व्यवहारमात्रथी द्रव्यार्थिक नयनामत प्रमाणे धारण करीने ते वखतना श्रावकोनी पासेथी, वंदनादिक करावी हशे के नही ! अने ते वखतना श्रावकोए पण, व्यवहारनयथी साधुनी क्रिया विगरेनां, आचरण जोइ, ते दीक्षित पुरुषोमां भावसाधुपणानो आरोप करी, ते वखतना श्रावको वंदना करता हशे के नहीं ! तेनो विचार करो!
आ लेख लखवानुं अमारु प्रयोजन ए छे के, आज कालना नवदीक्षित पुरुषोमां, साधु पदना नामादिक निक्षेपने, जे मान आपीये छीये ते पण, ते पुरुषोमा साधुनी व्यवहारमात्रनी क्रियाने जोइने, तेमां भावसाधुपणानो, आरोप करीनेज आपीये छीये. ___ तो पछी त्रण निक्षेपने, अवस्तु, अने उपयोग विनाना छे, एम शा हिसाबथी पोकार करो छो ! शुं ! तमो एवो निश्चय करी आपवाने समर्थ छो के, जेने मुख उपर पाटो चहावी, हाथमां बेलना पुछडा जेटलो ओघो पकडी लीयो एटले ते, भाव सावुज थइ गयो! जुवा अनुयोगद्वारना सूत्रने के, १ नाम निक्षेप, २ स्थापनानिक्षेप, अने ३ द्रव्यनिक्षेपना विषयमां, साधुनी हदनुं वर्णन क्यां सुधीनुं छे एटले तमारी नजर उघडशे. ।। ___अने जे आवश्यकना चार निक्षेप कर्या छे, ते सूत्र, अने साधुना, 'उद्देशने, वळगीनेन कर्या छे, अने ते आवश्यक सूत्रना, अ.
. मूत्रना आश्रयने अने साधुना आश्रयने,
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