Book Title: Dharm Sangrahani Part 02
Author(s): Ajitshekharsuri
Publisher: Adinath Jain Shwetambar Jain Mandir Trust

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Page 4
________________ (प्रकाशकीय) * जिनका हृदय एक "प्रयाग" बना है, जहाँ ज्ञानगंगा और जिनभक्ति यमुना का सुभग समागम है । * जिनका जीवन एक "नवनीत" बना है, जहाँ प्रतिसमय "प्रभुभक्ति" का मंथन चालु है । * जिनका नयन “अमृतसागर" बना है, जहाँ प्रेमामृत और करुणामृत का प्रवाह अस्खलित चालु है । ऐसे.. परम पूज्य परमशासनप्रभावक अध्यात्मयोगी आचार्यश्री विजय कलापूर्ण सूरीश्वरजी महाराज के पदार्पण से बेंगलोर शहर सचमुच धन्य बना है। श्री आदिनाथ जैन श्वे. संघ चिकपेट, बेंगलोर में महान शासन प्रभावक अध्यात्मयोगी आचार्यदेव श्रीमद्विजय . कलापूर्ण सूरीश्वरजी मा.सा. के शासन प्रभावक अद्वितीय चातुर्मास की झलक सं. २०५१ * अषाढवद - १० को तीरुपातुर से शा जयंतीलाल चंदुलालजी कोठारी द्वारा आयोजित छरी पालक संघ के साथ बेंगलोर में शानदार प्रवेश । * आषाढ सुद-१ को हजारों की मानव-मेदनी के भावपूर्ण स्वागत के साथ चातुर्मासार्थ चीकपेट-उपाश्रय में प्रवेश। * पूज्य आचार्य भगवंत का "पंचसूत्र" पर तथा पूज्य पंन्यास प्रवरश्री कलाप्रभ विजयजी गणिवर का "भीमसेन चरित्र" पर मधुरशैलीमें प्रवचन ! सुनने के लिए श्रोताओंकी जबरदस्त भीड़ । * प्रति शनिवार बच्चोंमें संस्कार निर्माणार्थ भव्य शिशु - शिबिर ।। * प्रति रविवार विविध विषयों पर रोचक प्रवचन एवम् प्रभुभक्ति के महापूजन आदि अनुष्ठान । * ३५० आराधकों का सामुदायिक चोविश तीर्थंकर तप । * युवा उत्कर्ष के लिए कुमारपाल बी. शाह संचालित पंचदिवसीय अविस्मरणीय शिबिर । * पर्युषण पर्वमें ५१, ४५, ३० उपवास आदि अनेक विध उग्र तपस्या । * पूज्यपाद आचार्य भगवंत के शिष्यों द्वारा बेंगलोर शहर के नगरथ पेट, मुनिसुव्रत मंदिर, दादावाडी, महावीर - मंदिर, गांधीनगर, राजाजीनगर, चामराजपेट, इत्यादि स्थानों पर पर्युषणकी भव्य आराधना । * पूज्य मुनिश्री कीर्तिचन्द्र विजयजी महाराज एवम् पूज्य मुनिश्री मुक्तिचंद्र विजयजी महाराज का भगवती योग में प्रवेश । * आसो सुद १० से जे. रायचंदजी द्वारा आयोजित उपधानतप प्रारंभ । * पूज्यपाद श्री के दर्शनार्थ बोम्बे से स्पेशयल ट्रेन द्वारा वागड - सात चोवीशा संघका तथा अन्य अनेक संघोंका आगमन । * पूज्यपाद श्री एवम् पूज्य विद्वान् मुनिराजश्री कल्पतरु विजयजी महाराज के द्वारा रात्रि तत्त्वज्ञान क्लास। * दोपहरमें पूज्य आनंदघनजी की चोवीशी पर तत्त्वपूर्ण वाचना । * भव्यातिभव्य महाराज श्री कुमारपालजी महाराजकी आरति, इत्यादि अनेक प्रकार की साधना - आराधनाओं से बेंगलोर शहर का चातुर्मास चिरस्मरणीय बना है । आबाल-गोपाल पूज्यश्री के प्रति आकर्षित बने हैं। शासनप्रभावक अध्यात्मयोगी पूज्यपाद श्री का वि.संवत् २०५१ का चातुर्मास हम कभी नहीं भूल पायेंगे। आपके इस चातुर्मास से हमारे शहरमें कुछ नया सर्जन हुआ हैं। युवापेढ़ी धर्ममें अधिक सन्मुख बनी हैं। ज्ञानद्रव्यमें से पूज्यपाद श्री की प्रेरणा और चातुर्मास की याद में अपनी संघ की ओर से पूज्य हरिभद्र सूरीश्वरजी रचित धर्मसंग्रहणी भाग-२ का पूज्य विद्वान् मुनिराजश्री अजितशेखर विजयजी महाराज ने किया हुआ गुर्जरानुवाद सहित प्रकाशित करने का लाभ प्राप्त हुआ है। अतः हम बडभागी-सद्भागी है। वि. श्री आदिनाथ जैन श्वेताम्बर संघ चिकपेट - बेंगलोर - ५६.०५३

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