Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 5
________________ धर्म के लक्षण अंजना ने तेजस्वी बालक को जन्म दिया हनरूद्धीप का राजा प्रतिसूर्य उन्हें अपने नगर ले गया। बेटी की तरह रखा। बालक का नाम रखा हनुमान। पवनञ्जयको पता चला और वह भी मिलने आये... अंजने मुझे क्षमा कर दो। मैंने तुम्हारे साथ क्या क्या अत्याचार नहीं किया तुमने मुझसे बोलना चाहा, मैंने मुंह फेर लिया। 22 वर्ष तक तुम्हें अकेले तड़पते रहने के लिये छोड़ कर चला गया। यही नहीं मेरे कारण से ही तुम्हें घर से निकाला गया,ना-ना प्रकार के दुख सहने पड़े। कैसी बातें करते हैं आप इसमें किसी का भीलेश मात्र दोष नहीं है। दोष है तो बस एक मेरे कर्मों का, जैसा मैंने किया वैसा मैंने भरा। खैर छोड़ो इन बातों को। आप तो, आनन्द से हैं नत जापा DROO इसी प्रकार बड़ी से बड़ी विपत्ति आने पर भी आप भी कोच चाडाल संबच सकतहबाट आप सोच लें... "तें करम पूरब किये खोटे, सहें क्यों नहीं जीयरा" 3

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