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मुनि शुभचन्द्र ने तपस्वी शुभचन्द्र ने अपनी चरणरज को फेंका शिला पर और वह विशाल शिला स्वर्ण मय हो गई।
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धर्म के लक्षण
भर्तृहरि ! तप का यह प्रभाव तो कुछ भी नहीं सम्यक तप से तो कर्मों के बंधन भी तड़ तड़ टूट कर गिर पड़ते है! और एक दिन मुक्ति की प्राप्ति हो जाती है। सुना नहीं, तप के विषय में क्या कहां है।" उत्तम तप सब माहि बरखाना, कर्म शैल को वजू समाना"
और भर्तृहरि भी बन गये दिगम्बर मुनि...
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हैं। यह क्या? कमाल की है आपकी तपस्या असली तपस्या तो यह है !
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