Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 29
________________ धर्म के लक्षण क्या तुम्हारी गाय इनके खेत में घुसी? क्या उसने इनके रखेत को नुकसान पहुंचाया? क्या तुम अपना अपराध स्वीकार करते हो? श्रीमान जी जो आप कह रहे है सत्य है। इनके खेत में मेरी गाय घुसी। उसने इनके खेत को नुकसान भी पहुंचाया। निसंदेह अपराध मेरा ही है। परन्तु... ON Dooo -CAD mauniNI परन्तु क्या? और लोगों ने देखा साधु नग्न दिगम्बर बनकर आत्म कल्याण के पथ पर बदा चला जारहा था। पं.धानतराय जी की लेखनी का कमाल तो देखिये क्या लिरवा है उन्होने आकिंचन्य के विषय में.. "फांस तनिक सी तन में साले,चाह लंगोटी की दख भाले" इस सब झंझटणाकी जड़ है यह लंगोटी बस अब मैं इसका भी त्याग करता हूं। यह न रहेगी तो कोई झंझट भी रहेगा।

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