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जैन चित्रकथा वसुन्धरी पहुंची बगीचे में कमठ को बिल्कुल ठीक देखा तो दंग रह गई समझ गई धोखा है।परकर ही क्या सकती थी। बेचारी कमठ ने पकड़ लिया उसे रोई चिल्लाई परन्तु व्यर्थ कमठ ने वह सब कुछ किया जो नहीं करना चाहिये। मरूभूति के लौटने पर.....
मंत्री मरूभूति जी! तुमने सुना तुम्हारे पीछे तुम्हारे भाई ने क्या किया? अब तो हमें उसे दंड देना ही पड़ेगा।
Wमहाराज वह मेरे बड़े भाई हैं। गलती हो गई होगी उनसे,क्षमा
कर दिजिये उन्हें।
परन्तु महाराज नमाने कमठ का काला मुंह कर के गधे पर बिठा कर देश निकाला दे दिया गया....
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तभी तो पं.घानतराय जी ने सावधान करते हुए।
कहा है:"उन्तम ब्रहम्चर्य मन आनो,
माता बहिन सुता पहिचानोग
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