Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 30
________________ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म जैन चित्रकथा मित्र कमठ क्या बात है? आज इतने परेशान क्यों हो? सुना है दो दिन से कुछ खाया पिया भी नहीं। क्या हो गया है तुम्हे? क्या बताऊंयार कलहंस जब से वसुन्धरी को देखा हैं परेशान हैं। उसके बिना अब जीवित रहना असम्भव है। क्या कह रहे हो मित्रहोश में तो हो! जानते हो वह कौन है! तुम्हारे छोटे भाई मरूभूति की पत्नी तुम्हारी पुत्री समान इतना बड़ा पाप शर्म नहीं आती। कुछ भी हो|अगर तुम मुझे जीवित देखना चाहते हो तो तुम्हें वसुन्धरी को मुझसे मिलाना ही होगा। है। ऐसी तबियत है जेठ जी की। हे भगवान उन पर क्या आपत्ति आई है।वै भी तो यहां पर नहीं है। क्या करूं अब) सुनो देवी। तुम्हारे जेठ कमठ की तबियत बहुत खराब है। मरणासन है बेचारे बगीचे की कोठी में पड़े है। सब उपाय कर लिये परन्तु ठीक नहीं हो पा रहे हैं। 8

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