Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 27
________________ धर्म के लक्षण भैया। हमारे पास केवल दो लंगोटी है एक पहनते है दूसरी धोकर सुखा देते है। परन्तु कल हमारी लंगोटी चूहे काट गये अब क्या करें। SiN उत्तम आकिंचन्याधर्म VINAR महाराजजी चिन्ता न कीजिये। लंगोटी तो मैं ला देता है। रही चूहों की बात एक बिल्ली पाल लीजाये तो कैसा रहेगा। Lama भैया बिल्ली तो तुमने रखवा दी। अब इस बिल्ली को चाहिये प्रतिदिन दूधइसका प्रबन्ध कैसे हो? भैया गाय तो तुमने रखवा (दी। परन्तु इसके घास का प्रबन्ध? MENT इसके प्रबन्ध के लिये एक गायला देता हूं। फिर. दूधका झंझट ही न रहेगा। चिन्ता क्यों करते है महाराज। मेरा खेत पड़ा है। उसमें रवेती कीजिये। घास की समस्या ही न रहेगी। aren LURA 0000000 25

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