Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 26
________________ परन्तु महाराज यह तो समझाइये कि दान किस किस वस्तु का करना चाहिये और किस किस को दान ! देना चाहिये ! A Wahi कफ Fa нем You Mus र Maha पंडित जी ! उत्तम त्याग धर्म का पालन पूर्णतया मुनि ही कर सकते हैं। ऐसा आपने बतलाया फिर यह तो बताइये आहार दान व औषधि दान मुनि कैसे करते है। जब कि उनके पास तो ये वस्तुएं होती ही नहीं ! Peresiorie SOCHAL MAHA जैन चित्रकथा 'दान चार प्रकार का होता है। आहार, औषधि, शास्त्र (ज्ञान), अभय और चार प्रकार के पात्र होते है। जिन्हे दान दिया आता है मुनि, अजिंका, श्रावक व श्राविका wide 24 Mere. FRYWW पंड़ित धानत राय जी ने इस बात को कितने सुन्दर ढंग से कहा है: cccccal In " धनि साधु शास्त्र अभय दिवैया, त्याग राग विरोध को, बिन दान श्रावक साधु दोनों ले हैं नाहिं बोधि को।” ठीक है भाई ! आहार दान व औषधिदान तो श्रावक ही करते है। मुनियों के तो ज्ञान दान व अभय दान की मुख्यता बतलाई है और असली है राज द्वेष का त्याग। वह तो मुनियों के होता ही है! Ma STP

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