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उत्तम संयम धर्म
पालकी आप कैसे उठायेंगे। भगवान महावीर हमारी तरह मनुष्य ही है! अत: पालकी पहले हम उठायेंगे।
मनुष्य और देवों में झगड़ा हुआ न्याय एक वृद्ध पुरुष को सौंपा गया।
जैन चित्रकथा
आज भगवान को वैराग्य
हुआ है! पालकी में बैठाकर भगवान को बन में ले जाने का अधिकार हमारा है! क्यों कि हमी ने इनके गर्भ कल्याण व जन्म कल्याणक
मनाये !
००००.
स्वर्ग से इन्द्र व देवता लोग कुंडलपुर आ गये और जब पालकी में भगवान को विराजमान पालकी पहले उठाने का करके पालकी उठाने लगे तब ....
अधिकार हमारा है। हमने ही भगवान के गर्भ में आने से पहले रत्न बरसाये, हमने ही पांडुक शिला पर ले जाकर इनका जन्माभिषेक किया। अब तुम कैसे कहते हो कि पालकी हम नहीं उठा सकते!
आज का दिन कितना पवित्र हैं। भगवान महावीर को वैराग्य हुआ है। चलो पालकी, में बैठा कर उन्हें वन में ले चलें।
हां हां चलिये।
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भगवान हमारी ही तरह मनुष्य है! हमारी ही तरह माता के गर्भ से आये। हमारी ही तरह इनका जन्म हुआ ! फिर ये बीच में देवता कहां से आ टपके ?
भैया । दलीलें तुम दोनों की ही
मजबूत है! मैंने बहुत विचार
"करने के बाद यही निर्णय किया है कि
। पहले पालकी वही उठाये जो इन जैसा बनने में सामर्थ हो !
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