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जैन चित्रकथा निर्णयानुसार पहले पालकी लेकर भूमिगोचर मनुष्य चले। फिर विद्याधर और अन्त में देव...
povered a way
भगवान ने वस्त्राभूषणों का त्याग किया केश लौंच किया 'नम सिद्धेभ्य'कहा और बढ़ चले उस राह पर जिसके बिना मुक्ति नहीं....
पं. धानत राय जी ने भी तो उत्तम संयम धर्म की महत्ता बतलाते हुए कहां हैं कि वह कैसा हैं?...
"जिस बिना नहि जिनराज सीमें"
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