Book Title: Dharm Ke Dash Lakshan
Author(s): Moolchand Jain
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 12
________________ जैन चित्रकथा पंडित जी,आप कौन है। यहां क्यों लेटे है। कहाँ) जा रहे है? Cucu मैं बनारस से सब विधायें पढ़कर लौटातो मेरी पत्नि ने पूछा बताओ"पाप का बाप क्या है"मैं इसका उत्तर न दे पाया। इसका उत्तर जानने के लिये बनारस जा रहा हूं। महाराज मैं एक वैश्याह। आपके ठहरने से मेरा घर पवित्र हो जायेगा। आप चिन्ता न करिये, इसका उत्तर आपको मैं दूंगी। कृपया. आज आप मेरे मकान में ही ठहरिये। परन्तु यह (तो बताओ तुम हो कौन? क्या कहा? मैं और वैश्या के यहां ठहरूं नहीं,नहीं, हरगिज नहीं,मैं ऐसा नहीं कर सकता मुझे तो तुम्हारे चबूतरे पर लैटने से ही बड़ा पाप लग गया है। RA

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