Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 7
________________ चातुर्मास : आत्म-उल्लास का पर्व चातुर्मास-चार अक्षरों का एक छोटा-सा शब्द है, लेकिन अपने इस सूक्ष्म कलेवर में अनेक प्रेरणाओं/रहस्यों को छिपाये हुए है । सांसारिक दृष्टि से भी और आध्यात्मिक दृष्टि से भी । इसका शब्दार्थ होता है-चार मास, चार महीने । लेकिन वर्ष में तो बारह मास होते हैं। और बारह मास में तीन चातुर्मास आते हैं-श्रावण से कार्तिक तक अर्थात् आषाढ़ी पूनम से कार्तिक पूनम तक, फिर मृगसर से फाल्गुन तक यह फाल्गुन पूर्णिमा होली चौमासी कहलाती है। फिर चैत्र से आषाढ़ तक यह ग्रीष्म कालीन चौमासा है। किन्तु यहाँ पर "चातुर्मास" से वर्षा ऋतु के चार मास की ओर संकेत है। ये चार मास हैं

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