Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 33
________________ २२. बारह व्रत आदि में विशेष उपयोग रखना । २३. यथाशक्ति तप का आचरण करना । २४. पाक्षिक प्रतिक्रमण एवं पौषध करना । २५. मास के पर्व-दो अष्टमी [एक शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की] दो चौदस, पूनम, अमावस्या इन पर्व दिन में उपवास या ऊनोदरी तप करना । २६. दस विध धर्म का यथाशक्ति पालन करना । [अभि. भाग ३, पृ. ११६९ से उद्धृत] चातुर्मास में पर्वो की श्रृंखला वर्षा ऋतु के चार मास में अनेक पर्व आते हैं । पर्यों की एक सुन्दर श्रृंखला ही बन गई है, इन चार महीनों में । देखिए (३१)

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