Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 31
________________ ६. ७. उपयोग । ८. ९. त्याग । अप्रासुक जल का त्याग । दो-तीन बार छानकर जल का सचित्त का त्याग । हरित् वस्तु लीलोती का १०. रात्रिभोजन का त्याग । ११. चार महीनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करना और यदि इतना सम्भव न हो सके तो यथाशक्य करें, कम से कम पर्वतिथियों में तो ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य ही करना चाहिए । १२. तेल, गुड़, घी, दही आदि के उपयोग में सावधानी बरतना चाहिए । वे खुले न रहें, चलितरस न हों । १३. स्नान आदि के लिए लीलनफूलन वाला पानी उपयोग में नहीं लेना चाहिए। (२९)

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