Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 32
________________ १४. पर्व तिथियों में उपवास या " एकासन करना । १५. इन चार महीनों में गृह निर्माण आदि आरम्भजन्य कार्य नहीं करना । १६. श्रावण-भाद्रपद मास में बासी अन्न नहीं खाना । १७. प्रतिदिन पात्रदान की भावना करना । w १८. प्रतिदिन स्वधर्मि सेवा का प्रयास । १९. रुग्ण, वृद्ध, असहाय, दीनअनाथ आदि की सेवा का प्रयास । २०. प्रतिदिन कुछ न कुछ धर्मदान, अनुकम्पादान करना । २१. मूक जीवों की दया, उनकी रक्षा तथा पालन-पोषण के लिए कुछ न कुछ योगदान करना । (३०)

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