Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 66
________________ हैं, उनकी आँखों में आँसू होते हैं और हृदय पुकार रहा होता है - महाराज पुनः पधारने की कृपा करें । वस्तुतः कार्तिकी पूनम वह दिन है जो 'विहारचरिया इसिणं पसत्याः की भावना को साकार रूप देता है । अन्य क्षेत्रों को पवित्र करने के लिए साधुओं के चरण बढ़ते हैं । यह कार्तिकी पूनम का सर्वाधिक महत्व है, जो इसे पर्व की संज्ञा प्रदान करने में यथेष्ट रूप से सक्षम है । इस प्रकार चातुर्मास पर्वों की अटूट श्रृंखला है और है आध्यात्मिक-साधना का जागरण काल । यही इसका महत्व है, पर्वत्व है क्योंकि ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप - मुक्ति के इन चार उपायों की साधना-आराधना का इस काल में सुअवसर संप्राप्त होता है । (६४)

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