Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 20
________________ ३. धर्म-जागरणा तथा गृहस्थ वर्ग को धर्माराधना के लिए प्रेरणा/मार्गदर्शन देना। वस्तुस्थिति ऐसी है कि जिस क्षेत्र में भी जैन श्रमण-श्रमणी चरण रखते हैं उनके उत्कृष्ट चारित्र और उज्ज्वल तप से प्रभावित होकर वह क्षेत्र धर्मक्षेत्र के रूप में परिवर्तित हो जाता है, लोगों में धर्मोत्साह जाग उठता है । जीवदया चातुर्मास का पहला उद्देश्य है । जीव-दया का अभिप्राय है-प्राणीमात्र के रक्षण की, उनके कल्याण की भावना रखना, किसी भी जीव की, चाहे वह क्षुद्र से क्षुद्र क्यों न हो, उसकी हिंसा नहीं करना, कष्ट नहीं देना, उसको संताप न देना । इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्राणी को अभय देना । अभय और दया एक ही सिक्के के दो (१८)

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