Book Title: Chaturmas Aatmullas Ka Parv
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 24
________________ 'भाई-बहन अभावग्रस्त होते हैं, कोई बीमारी के कारण तो कोई बेरोजगारी के कारण, अनाथ बच्चे और विधवा महिलाएँ भी होती हैं, बहुत से गरीबी के कारण भी अभावों की चक्की में पिसता जीवन गुजारने को विवश होते हैं । इन सबके प्रति समाज का कर्तव्य है। इन्हें सहायता देना साधर्मि-वात्सल्य कहलाता है । लेकिन सहायता ऐसी न हो कि इन्हें सदा के लिए परमुखापेक्षी बनाये रखे; अपितु ऐसी सहायता करनी चाहिये जिससे कि ये अभावग्रस्त व्यक्ति भी अपने पैरों पर खड़े होकर सम्मानपूर्ण सफल जीवन जी सके । गरीबी दान से नहीं, स्वावलम्बन से दूर होती है । समाजसेवा की ऐसी योजनाएँ चातुर्मास (२२)

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