Book Title: Charcharyadi Granth Sangrah
Author(s): Jinduttsuri, Jinharisagarsuri
Publisher: Jindattsuri Gyanbhandar

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Page 4
________________ प्रकाशक की ओर से - आज मैं अतीव हर्ष और आनन्दका अनुभव कर रहा हूं कि हमारी ग्रन्थमाला के साथ जो प्रातः स्मरण आचार्य महाराज श्री जिनदत्त सूरिजी का नाम सम्बद्ध है उन्हीं के द्वारा रच गये ग्रन्थोंका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने का महत्वपूर्ण सुअवसर प्राप्त हुआ है । इन सम्पूर्ण ग्रन्थों का हिन्दी अनुवाद आचार्य व श्री जिनहरिसागर सूरिजी के सश्रम पूर्वव किया है । इन ग्रन्थों को पढ़ने से मालूम हुए बिना न रहेगा कि आचार्य महाराजजी ने अपने बड़े आलोचक और समय की बुरी प्रथाओं पर पूर्ण संकोच प्रहार करने में पक्ष थे । उन दिनों चैत्यवासी समाज का आवष्य था, उनका समस्त आचरण जैन संस्कृति के कलङ्क स्वरूप था। अतः युगकी जलती हुई समस्या आचार्य श्रीको सरन करनी ही पड़ी और इसमें रहकर अमृतमयी वाणीसे बझाई भी । अनुवादक महोदय को हम हार्दिक धन्यवाद देनेके साथ पाठकों से कर बद्ध प्रार्थना करते हैं कि वे इस अनुवादक ग्रन्थ समूह को हंसक्षीर न्याय से पढ़ो। Jain Education International For Private & Personal Use Only प्रकाशक: www.jainelibrary.org

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