Book Title: Chahdhala Ka sara Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Digambar Jain Vidwatparishad Trust View full book textPage 6
________________ छहढाला का सार पहला प्रवचन सभी की कहानी है इस छहढाला में। यह कहानी कहाँ से शुरू होती है और कहाँ समाप्त होती है ? इस प्रश्न के उत्तर में कहते हैं कि - ___ काल अनन्त निगोद मँझार, बीत्यो एकेन्द्रिय तन धार। यह कहानी निगोद से आरंभ होती है और मोक्ष में जाकर समाप्त होती है; जहाँ वे - रहीहैं अनन्तानन्त काल, यथा तथा शिव परिणये । ___जो जीव मोक्ष में चले गये हैं, अनन्त सुखी हो गये हैं; वहाँ वे अनन्त काल तक रहेंगे। जबतक मोक्ष में नहीं गये तो समझ लेना कि हमारी कहानी अभी समाप्त ही नहीं हुई, बीच में ही चल रही है। सिद्धों की भी समाप्त कहाँ हुई ? अभी भी चल ही तो रही है। वे सिद्ध जीव अनन्त काल इसीप्रकार अनन्त सुखी रहेंगे। एक राजा था, उस राजा की यह आदत थी कि जो भी फरियादी उसके पास आता और राजा से कहता कि उसने मुझे पीट दिया। तब राजा उससे पूछता था कि फिर क्या हुआ ? फिर क्या हुआ, फिर क्या हुआ ? - ऐसे पूछता ही रहता था। आखिर वह फरियादी अन्त में कहता - इसके बाद कुछ नहीं हुआ; तब राजा कहता कुछ नहीं हुआ तो जाओ। आखिरकार अन्त में तो कहना ही पड़ेगा न कि कुछ नहीं हुआ। एक आदमी उस राजा के पास गया और उसने कहा कि मैंने खेती की और गेहूँ बोये । राजा ने पूछा - फिर क्या हुआ ? उसने कहा - अच्छी बरसात हुई, इतने अधिक गेहूँ पैदा हुए कि मैं उन्हें समेट नहीं सका। फिर क्या हुआ ? मैंने एक वेयर हाऊस किराये से लेकर, गेहूँ बोरों में भरकर, सब गेहूँ उसमें रख दिये। राजा ने कहा - फिर क्या हुआ ? एक चिड़िया आती, गेहूँ का एक दाना लेकर फुर्र करके उड़ जाती। चिड़िया आई, एक दाना लिया और फुर्र करके उड़ गई। फिर क्या हुआ? चिड़िया आई.....। राजा ने पूछा तेरी यह फुर-फुरबाजी समाप्त होगी या नहीं ? उसने कहा - साहब ! गेहूँ तो बहुत पैदा हुआ था न, चिड़िया तो एक-एक दाना ही लेकर जाती है। जब गेहूँ पूरी तरह खाली हो, तब ही तो कहानी समाप्त होगी न? आखिर में उसने कहा कि हजूर जब आपकी यह फिर-फिर बाजी समाप्त होगी, तब मेरी यह फुर-फुरबाजी समाप्त होगी। इसीप्रकार कहानी सिद्धों में समाप्त थोड़े ही हुई? वे तो अनन्त काल तक वहीं पर रहेंगे। यह ऐसी कहानी है कि जो कभी समाप्त नहीं होती। क्या आप जानते हैं कि सिद्धांत किसे कहते हैं और सिद्धांतशास्त्र किसे कहते हैं ? जिस बात का अन्त सिद्धदशा में जाकर हो, उसका नाम है सिद्धान्त । उक्त नियमानुसार छहढाला असली सिद्धान्तशास्त्र है; क्योंकि इसका अन्त सिद्ध-अवस्था में जाकर होता है। देखो ! अपने जितने भी पुराण हैं, उन सभी में सैकड़ों भवों की कहानियाँ हैं; वे सभी कहानियाँ सिद्धदशा में ही समाप्त होती हैं। सिनेमा में जाते हो तो कहानी का अन्त कहाँ होता है ? अरे ! हिन्दुस्तान के सिनेमा की एक ही स्टाईल है। दो लड़कियाँ और एक लड़का अथवा एक लड़की और दो लड़के। उनमें से एक खत्म हो गया, दो की आपस में शादी हो गई। हाथ में हाथ मिलाया और बस कहानी खत्म। भारतीय नाट्यशास्त्र का यह नियम है कि प्रत्येक कहानी सुखान्तPage Navigation
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