Book Title: Buddhiprabha 1965 07 SrNo 68
Author(s): Gunvant Shah
Publisher: Gunvant Shah

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Page 10
________________ <] બુદ્ધિપ્રભા [ १०-३-१८१५ किन्तु दूसरों के प्रति हीनता और क्षुद्रता की कल्पना मत करो। परस्पर के सहयोग के विना सारी शक्ति श्लथित और कुठित हो जाती है, एक भी कार्य पूरा नहीं हो सक्ता । बड़प्पन के विवाद को छोड़ो व सह-जीवन की सीमाओ को समझ कर सुखी और समृद्ध बनो । 1 समन्वय के लिये सहअस्तित्व का आधार सदा अपेक्षित रहता हैं जहाँ अहं भाव के कीटाणु दूसरों की जड़ो पर आक्रमण करने का प्रयास करते हैं वहाँ समन्वय की धारा आगे नहीं बढ़ सक्ती, बीच में ही खण्डित और स्खलित हो जाती है । BAPALAL KOTHAREE PROPRIETOR: KOTHAREE&SONS Founder SAGO INDUSTRY 62-B, Peria Eluthukara Street Post Box No. 201. SHEVAPET, SALEM-2 (MADRAS) Phone : 3227 3429 Gram KOHINOOR

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