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:२१: सच्ची उपाधि
एक राजा अपनी प्रजा को विविध उपाधियाँ प्रदान करता था। अनेक महत्वाकांक्षी व्यक्ति आते और उपाधियाँ प्राप्त कर प्रसन्नता से नाच उठते ।।
राजा की सभा में एक युवक आया। उसने राजा को नमस्कार कर कहा-राजन् ! मैंने सुना है आप उपाधियाँ प्रदान करते हैं। कृपया मुझे भी उपाधि प्रदान
करें।
राजा ने देखा-युवक के चेहरे पर अपूर्व चमक है, मन में अदम्य उत्साह है। राजा ने कहा-मैं तुम्हें एक नहीं, अनेक उपाधियाँ दे सकता हूँ।
युवक ने कहा--राजन् ! मुझे अन्य उपाधियाँ नहीं चाहिए, मुझे चाहिए कि आज मुझे सच्चे मानव की उपाधि से अलंकृत करें और मुझे सच्चा और अच्छा मानव बना दें।
राजा ने कहा-मैं तुम्हें अन्य उपाधियाँ दे सकता है, पद भी दे सकता हूँ। किन्तु सच्चा मानव बनाने की शक्ति मेरे में नहीं है।
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