Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay
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: ७३ : दृढ़ संकल्प
महात्मा गांधी जेल में थे। चारों ओर आजादी की लहर चल रहो थो । हजारों व्यक्ति गांधीजी के एक संकेत पर प्राण न्यौछावर करने को प्रस्तुत थे। उसी समय गांधीजी को कस्तूरबा की रुग्णता के समाचार मिले कि वह अत्यधिक रुग्ण है। रुग्णता के समाचार सुनकर भी गांधीजी के चेहरे पर तनिक मात्र भी शिकन नहीं आई।
जेलर ने गांधीजी से निवेदन करते हुए कहाआप सरकार से क्षमा याचना कर लें और अपनी पत्नी को देखने चले जाएँ।
गांधोजी ने दृढ़ता के साथ कहा-मैं देशप्रेम को सर्वप्रथम स्थान देता हूँ। देश की आजादी में जूझते हुए यदि पत्नी का देहावसान भी हो गया तो मुझे कोई
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बोलती तसवीरें
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