Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 145
________________ दूसरे ने कहा-आज दिन तक तो हम आपको बहरा ही समझते रहे हैं, क्या वस्तुतः आप बहरे नहीं हैं? हातिम ने कहा-निरर्थक बातें सुनने से तो बहरा होना अधिक अच्छा है। यदि मैं प्रत्येक बात पर जवाब देता तो मेरे स्नेही-साथी मेरी बुराइयों और कमजोरियों को दबाकर मेरे सदगुणों की प्रशंसा करते, उनकी प्रशंसा सूनकर अपने आपको सर्वश्रेष्ठ मानने की भयंकर भूल करता । इसी कारण मैं अपने आपको बहरा प्रकट करता हूँ। जिससे मेरे साथो मेरी बुराइयाँ स्पष्ट रूप से कह देते हैं। वे मुझे मूर्ख और बहरा समझकर मेरी बुराइयों को प्रकट करने में संकोच नहीं करते। और मैं अपनी बुराइयों को सुनकर उन्हें निकालने का प्रयास करता १३२ बोलती तसवीरें Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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