Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 123
________________ वह बन्दरगाह पर नहीं पहुँचा है और ऐसे समाचार प्राप्त हुए हैं कि वह समुद्री तूफान से घिरकर कहीं नष्ट हो गया है। सेठ ने मुनीम को धैर्य बँधाते हुए कहा—मुनोमजो! घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है । जहाज डूब गया तो कोई आश्चर्य नहीं । समुद्र की यात्रा ही ऐसी है। उसमें प्रतिपल प्रतिक्षण यह खतरा बना रहता है। यद्यपि बचाने का बहुत प्रयास किया गया होगा, पर नहीं बचा तो भी हमें शान्त रहना चाहिए। प्रस्तुत घटना के कुछ दिनों के पश्चात् मुनीमजी दौड़ते हुए सेठ के पास पहुँचे । आज उनके तन-मन में अपार प्रसन्नता थी। वे प्रसन्नता से नाच रहे थे। आते ही उन्होंने सेठ से कहा- सेठजी ! बड़ी प्रसन्नता के समाचार हैं कि जहाज बन्दरगाह पर सुरक्षित आ गया है। माल उतारने के पूर्व हो उस माल का दुगुना भाव हो गया। मैंने वह सारा माल बेच दिया जिससे इस माल के दस लाख के स्थान पर बीस लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। प्रसन्नता की बात सुनकर भी सेठ पूर्ववत् हो शान्त थे । उन्होंने मुनीम से कहा-व्यापार में हानि और ११० बोलती तसवीरें Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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