Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 125
________________ : ६५ : मातृभूमि जोधपुर के महाराज यशवन्तसिंह युद्ध करने के लिए काबुल की ओर जा रहे थे। रास्ते में एक टीले पर फोग के पौधे को देखकर वे झम उठे। वे घोड़े से नीचे उतर पड़े और सगे भ्राता की तरह प्यार से उसे आलिगन करने लगे। उनकी हत्तंत्री के तार झनझना उठे। सुण ऐ देशी रुखन, म्हे परदेशी लोग । म्हाने अकबर तेडिया, तू कित आयो फोग ॥ हे मेरे देश के वृक्ष फोग सून ! हम दोनों ही इस देश के लिए परदेशी हैं। हम तो दिल्ली के अधिपति अकबर को आज्ञा से इधर आये हैं, पर तू यहाँ कैसे आ गया? यह है भारत की भूमि की विशेषता ! यहाँ का मानव माता और मातृभूमि को स्वर्ग से भी अधिक प्यार करता है। यहाँ को मिट्टी को चन्दन मानकर वह स्नेह से तिलक करता है और पानी को गंगाजल मानकर अर्चना करता है। बोलती तसवीरें ११२ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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