Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 132
________________ दो पैसा का विद्यालय suna v arra zearPARTeri.s..... - बाबा कैलाशनाथ 'त्यागी' के नाम से विश्रुत थे। उन्होंने पंसठ वर्ष की उम्र में संन्यास ग्रहण किया था। एक वर्ष तक काशी में रहकर वे पुनः अपनो जन्मस्थली लौट आये। उनके अन्तर्मानस में एक विचार उद्बुद्ध हुआ कि मैं बड़ागाँव में एक भव्य देवालय बनाऊँ। देवालय के लिए उन्होंने एक-एक पैसा प्रतीक व्यक्ति से लेने का संकल्प किया। उन्होंने परिभ्रमण कर छ: हजार रुपये एकत्रित किये और एक देवालय का निर्माण करवाया । १६५७ में उनका वह संकल्प पूर्ण हुआ और वह देवालय एक पैसा वाला देवालय के नाम से विश्रुत हुआ। किसी व्यक्ति ने बाबा की आलोचना करते हुए कहा कि बाबा ने इतनी मुश्किल से पैसा इकट्ठा किया और दो पैसे का विद्यालय ११६ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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