Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 133
________________ देवालय बनाकर सारा पैसा बरबाद कर दिया। यदि इस पैसे से कोई स्कूल बनता तो कितना अच्छा होता? जब बाबा ने यह बात सुनी। उन्होंने पुनः संकल्प किया कि वे यहाँ पर एक औद्योगिक पाठशाला स्थापित करेंगे। उसके लिए उन्होंने दो पैसे प्रति व्यक्ति से चन्दे के रूप में लेना प्रारम्भ किया। लोग बाबा की प्रामाणिकता से परिचित हो चुके थे । अतः कुछ हो महीनों में उन्होंने एक लाख का चन्दा एकत्रित कर दिया और उस अर्थराशि से उन्होंने औद्योगिक विद्यालय स्थापित किया। आज उसमें ३०० से भी अधिक छात्र अध्ययन करते हैं। बाबा त्यागी ने यह सिद्ध कर दिया कि बूंद-बद से भी घड़ा भरा जा सकता है। वह विद्यालय दो पैसे के सार्वजनिक विद्यालय के नाम से विश्रुत है। १२० बोलती तसवीरें Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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