Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 135
________________ लिया है । इसका जहर बड़ा हो भयंकर है। इससे स्वयं का और दूसरों का नाश होता है । अतः राजा को उद्बोधन देने हेतु उसने पुराने कोश में से राजा विक्रमादित्य के जीवन वृत्त की पुस्तक निकाली। उसने राजा से निवेदन किया- राजन् ! पुराने बहीखाते देखते हुए मुझे राजा विक्रमादित्य का जीवन चरित्र प्राप्त हुआ है। कृपया आप उसका एक पृष्ठ सुनिए--- __ राजा भोज ने कहा- अच्छा अवश्य सुनाइये । मन्त्री ने पढ़ा-राजा विक्रमादित्य ने एक बार एक श्लोक को सुनकर आठ करोड़ स्वर्णमुद्राएँ, तिरानवे तोला मोती, पचास हाथी जिनके गंडस्थल से मद चू रहा था और जो पर्वत के समान विशालकाय थे, दस हजार तेज-तर्रार घोड़े और सौ नर्तकियाँ इतनी सामग्री दक्षिण के पाण्ड्य राजा ने विक्रमादित्य को दण्डस्वरूप भेंट की थीं, राजा विक्रम ने उस समस्त सामग्री को उस कवि को समर्पित कर दिया। राजा भोज ने जब यह सुना तो वह आश्चर्यचकित हो गये। उन्होंने स्वयं इस विवरण को अनेक बार पढ़ा। उनका अहंकार नष्ट हो गया। उन्हें राजा विक्रमादित्य के दान के सामने अपना दान तृणवत् अनुभव होने लगा। १२२ बोलती तसवीरें Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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