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: ६७: वफादारी और ईमानदारी
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बड़ोदा के महाराजा सयाजीराव एक बार श्री एस० आर० शिधे के साथ फ्रान्स की यात्रा हेतू गये। पैरिस में उन्होंने एक जौहरी से कीमती जवाहरात खरीदे । खरीदने के पश्चात् जौहरी का एक प्रतिनिधि श्री शिंधे से मिला और कहा-आपका कमीशन नगद द का चेक से द।
एस० आर० शिंधे ने कहा-मैं समझ नहीं पाया, कैसा कमीशन ?
उसने कहा--- जो व्यक्ति हमारी दुकान पर कीमती माल खरीदने के लिए ग्राहक लाता है उसे हम कमीशन देते हैं। आप महाराजा को लेकर हमारे यहाँ आये हैं, इसलिए हमारे नियम की दृष्टि से आप कमीशन के अधिकारी हैं।
शिधे ने कहा-मैं महाराजा का अनुचर है, इसलिए मैं कमीशन का अधिकारी नहीं हूँ। साथ ही यह आवश्यक है कि जितनी अर्थराशि आप मुझे कमीशन में देंगे उतनी अर्थराशि आप मूल्य में बढ़ा देंगे।
वफादारी और ईमानदारी
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