Book Title: Bolti Tasvire
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 122
________________ - युवक सीधा ही नगरसेठ के पास पहुँचा कहा—उस महान् योगी ने आपके पास प्रेषित कि. है, शान्ति का मार्ग जानने के लिए। नगर-सेठ ने कहा-पूज्य प्रवर योगीराज ने भेजा है तो तुम यहाँ रहो और देखते रहो। यदि तुम्हारा चिन्तन जागृत है तो तुम्हें अवश्य ही मार्ग मिल जायगा। युवक सेठ के पास रहने लगा और सेठ की दिनचर्या को देखता । वह दिन भर कार्य में व्यस्त रहता। सैकड़ों अनुचरों से घिरा हुआ रहता । युवक ने सोचा यह तो माया का दास है। इसे स्वयं को शान्ति नहीं तो मुझे यह शान्ति का मार्ग कैसे बतायेगा? व्यर्थ ही योगी ने मुझे यहाँ भेजा। यदि योगी के पास रहता तो कुछ न कुछ मार्गदर्शन अवश्य मिलता। पर यहाँ तो मैं समय बरबाद ही कर रहा हूँ। ___ युवक एक दिन सेठ के पास बैठा हुआ था। उस समय सेठ का प्रधान मुनीम घबराता हुआ आयासेठजी, गजब ही नहीं महान् गजब हो गया। हमारा जहाज जिसमें लाखों का माल भरा हुआ था, उसे कल ही बन्दरगाह में पहुँच जाना चाहिए था, पर अभी तक शान्ति का मूल मन्त्र १०६ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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